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Saini Nileshkumar

Inspirational Others

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Saini Nileshkumar

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कठिन राह

कठिन राह

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कठिन है ये राह कितनी

डगमगा रहे है पैर मेरे भी

रास्ते भी चुभते है अब

किस्मत भी आज रूठी हुई


दर्द और भी गहरा होता जा रहा है

लड़खड़ाने लगे है अब हम यूँ ही

कौन जाने कैसी है ये तकदीर

इम्तिहान बन रहा है और भी कठिन


थम सी गयी है क्यूँ ये किस्मत भी

राही हूँ मैं इस राह की

छाँव भी नहीं है अब इस राह में

हिम्मतें ये वरदान मांगती हूं मैं तो


ना डगमगाने दे मेरे पाँव ये

धूप है यहाँ मुझे चलना है इस राह में

प्यास भी लगने दे मुझे

कठिन है ये राह इतनी क्यूँ?



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