कसमें वादे
कसमें वादे
समझ ही न पाया जो प्यार तेरा
क्यों बरबाद करे तू उस पर वक्त बता
आंसूू की तेरे कद्र न थी जिसको
क्यों बहने देता उनको ज़रा यह तो बता
उसके लिए उम्र दाव पर लगाना
है कैसी अक्लमंदी ज़रा यह तो बता
क़समों वादों की सुनी कहानियां बेशुमार
लगता था होंगी सच्ची पर थीं खोखली
हवा के हल्के से झोंके से गए सभी हार
अहं था आगे आगे, पीछे दुनिया चली
मनवाने अपनी बात,करने सपने तार तार
मेरी समझ,मंद बुद्धि,से है यह बात परे
क्यों हम बन नादान, करें भरोसा हर बार
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खाएं चोट- विवेक और बुद्धि को रख परे
ज़ख़्मों को सहलाते रहते,रहे सहे दिन चार
कैसी यह नादानी कसमों को याद करे
ज़िंदगी के उतार चढ़ाव छुपे हैं किससे
नासूर बन कर जो निगल जाएं
उन कसमों वादों की उम्र छुपी है किससे
बदलाव की है अपनी गरिमा जानें
कसमों वादों की अपनी जगह,सुने हैं किस्से
एकतरफ़ा प्यार, खोखले वादे, हैं बेकार
रख न पाएं गर उन वादों का मान
ज़िंदगी अपनी बन जाए निस्पृह निस्सार
कर सब कुछ अर्पण, दे दे जान
उस पर जो तुझ पर करे जान निसार।