JYOTI ARORA
Abstract
खामोशियों के शोर को
सुन ना मुनासिब हो गया।
वो कागज का मुसाफ़िर था
हवा चली तो खो गया।
कश्ति
रिशतों की पोट...
पतंगों की तरह
सफर में
कुछ मेरी कलम ...
लड़की
मंज़िल
फूल सी सूरत होते हुवे भी सीरत और हरकत है कातिलाना। फूल सी सूरत होते हुवे भी सीरत और हरकत है कातिलाना।
माटी की मूरत नहीं, ममता की जरूरत हूं मैं घबराती नहीं, बस यूंही चुप रह जाती हूं मैं। माटी की मूरत नहीं, ममता की जरूरत हूं मैं घबराती नहीं, बस यूंही चुप रह जाती हू...
नमन शहीद जवानों को, गाथा उनके सम्मान की, नमन शहीद जवानों को, गाथा उनके सम्मान की,
ज़िंदगी में कई जिंदगी गुजरी है। तेरे बिन तो नहीं यह कभी गुजरी है। ज़िंदगी में कई जिंदगी गुजरी है। तेरे बिन तो नहीं यह कभी गुजरी है।
मिलना तुमसे था तो किसीके,बहाने निकले। आया महफ़िल में तो सारे ही,दीवाने निकले।। मिलना तुमसे था तो किसीके,बहाने निकले। आया महफ़िल में तो सारे ही,दीवाने निकले।...
जीवन के लिए बस यही मान पाये। जीवन के लिए बस यही मान पाये।
शत - शत नमन वीणा वादिनी माँ उज्ज्वल स्वरूपा वर दायिनी माँ-२ शत - शत नमन वीणा वादिनी माँ उज्ज्वल स्वरूपा वर दायिनी माँ-२
धरा पे जन्नत का गुलशन खिला दूँ। तुमको निहारूँ या रब को दुआ दूँ। धरा पे जन्नत का गुलशन खिला दूँ। तुमको निहारूँ या रब को दुआ दूँ।
संसार भर में मनुष्यता का नया वातावरण बन जायेगा। संसार भर में मनुष्यता का नया वातावरण बन जायेगा।
जा रही है जान हमने जाना बिना मास्क के घर से बाहर नहीं जाना। जा रही है जान हमने जाना बिना मास्क के घर से बाहर नहीं जाना।
मानव मन अवसाद से भर रहा एहसास मर रहे हैं हम कृतघ्न हो रहे हैं। मानव मन अवसाद से भर रहा एहसास मर रहे हैं हम कृतघ्न हो रहे हैं।
हर लम्हें गीतों से सजते, खुशबू ने जीवन महकाया। हर लम्हें गीतों से सजते, खुशबू ने जीवन महकाया।
दिखाई देती है अब साँझ की दुल्हन में शर्माहट फिर से दिखाई देती है अब साँझ की दुल्हन में शर्माहट फिर से
कभी दूर तू न जाये तेरे ख्यालों के बिना जीना पड़े वो दिन कभी न आये। कभी दूर तू न जाये तेरे ख्यालों के बिना जीना पड़े वो दिन कभी न आये।
फिर एक ख्याल और आया जेहन में तब क्या मेरी अपनी पहचान होती फिर एक ख्याल और आया जेहन में तब क्या मेरी अपनी पहचान होती
पर कौन है सुनता इनका यह है आम नागरिक यार।। पर कौन है सुनता इनका यह है आम नागरिक यार।।
तेरे नौ रूपों को हम इस दिल में बसाते हैं। जय जयति माँ काली तेरे गुण गाते हैं। तेरे नौ रूपों को हम इस दिल में बसाते हैं। जय जयति माँ काली तेरे गुण गाते हैं।
मुझे अंधेरे मे रहने दो मुझे उजाला नहीं चाहिए। मुझे अंधेरे मे रहने दो मुझे उजाला नहीं चाहिए।
हे स्त्री तुम मर्यादित रहना उच्चश्रंखल न होना। हे स्त्री तुम मर्यादित रहना उच्चश्रंखल न होना।
यह ज़िन्दगी इक सफ़र है, बस, मंज़िल भी हो, यह ज़रूरी तो नहीं।। यह ज़िन्दगी इक सफ़र है, बस, मंज़िल भी हो, यह ज़रूरी तो नहीं।।