जरा बाँसुरी नेह राग की मुझे सुना और थोड़ी तू भी संग मुस्कुरा ले। जरा बाँसुरी नेह राग की मुझे सुना और थोड़ी तू भी संग मुस्कुरा ले।
वो कागज का मुसाफ़िर था हवा चली तो खो गया। वो कागज का मुसाफ़िर था हवा चली तो खो गया।
ओर आज फिर उठ गया उसी कोने में दर्द ज़ोर से।। ओर आज फिर उठ गया उसी कोने में दर्द ज़ोर से।।