कशमकश
कशमकश
हर तरफ खामोशी है छाई,
ना जाने लोग किस कशमकश में डूबे हैं,
आज की चिंता है या फिर कल की,
जिंदगियां दौड़ रही हैं या रुकी हुई हैं,
कुछ समझ नहीं आ रही है,
पीछे लौटने का वक़्त नहीं और
जिंदगी आगे बढ़ नहीं पा रही है,
उफ़्फ़ यह कैसी कशमकश है,
वाकई कुछ समझ नहीं आ रही है.
यह किस मोड़ पर ले आई है जिंदगी,
हर चेहरे पर बस खौफ ही नजर आ रहा है,
यकीन तो बस खुदा पर ही है,
शायद अब ख़ुदा ही इस क़शमक़श से निकाल सकते हैं।
