अजनबी
अजनबी
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जिंदगी अजनबी है जिंदगी फसाना है,
न जाने किस वक्त कौन सा मोड़ आना है,
हमको तो यूं ही बस चलते जाना है,
जो यूं कुछ देर थक गए हम,
तो वापस न लौट के जाना है.
क्यों इन रास्तों से हम डरते हैं,
इन रास्तों पर तो रोज का आना जाना है,
जिंदगी अजनबी है जिंदगी फसाना है
कुछ दूर अकेले ही जाना है,
अगर साथ मिले कोई तो हाथ थाम के आगे जाना है,
चलते-चलते ना रुकना है, बस आगे बढ़ते जाना है,
रास्ते में ही वैसे हम बन जाना है...
जिंदगी अजनबी है जिंदगी फसाना है।