“ करवाँ “
“ करवाँ “
बहुत देर रुक गए ,
कमर कस के रणक्षेत्र
में उतर जाएंगे !
अपने अधिकारों को पाना
भला कौन रोक सकता है ?
अब तो हमें चलना होगा
आगे बढ़ना होगा !
हमें रुकावटों के सीने को
फाड़ सुगम रास्ते
बना के आगे बढ़ना है !
प्रभातफेरी के प्रक्रियाओं
से लोग जुटते जाएंगे ,
हम अकेले ही नहीं
कारवाँ की सशक्त
प्रतिध्वनियाँ दसों -दिशाओं
में गूँजेंगी और
थरथराएगी अराजकतायें !!
कुशासन और अव्यवस्था
असहिष्णुता ,गरीबी
अत्याचार की रूहें
काँपेंगी घबड़ाएगी !!
एकजुट ,एकता और
संकल्प से देश को है
त्राण मिलता है !
संगठित करवाँ के एक
धुन पर देश
बलवान बनता है !!