करुण -पुकार।
करुण -पुकार।
आया हूँ प्रभु शीश झुकाने, पडा रहूँ नित तेरे द्वार।
तुम हो दीन-बंधु, विघ्न -हरण, सुन लो मेरी करुण पुकार।।
सत्कर्म में लिप्त हों हम, सत्पथ को लेकर साथ।
सत्संगत की राह चुन कर, मन में सेवा का भाव हो नाथ।।
निशदिन बीते तेरी याद में, सफली भूत हो मेरा जीवन।
तन -मन- धन कर दूँ अर्पित, कामना शून्य हो मेरा मन।।
अंतर कि तुम सब जानते, करोगे नहीं मुझको निराश।
कभी तो प्रभु तुम दर्शन दोगे ,पूरा है मुझको विश्वास।।
यही वेदना सता रही है, क्या है जीवन का सार।
जीवन रूपी नया "नीरज" की, कर दो अब तुम वेड़ा पार।।