करते रहें हम काम
करते रहें हम काम
सामर्थ्य के अनुसार सदा, करते रहें हम काम,
नियोजित ढंग से काम संग, करते रहें आराम।
यह तन हमारा प्रभु का ,हमको अनुपम है वरदान,
ये थाती है समाज की , हरदम रखना है ये ध्यान।
हम हैं समाज के लिए और, हमारे लिए है यह समाज,
बेहतर हम कर सकें काम, स्वस्थ तन है इसका राज।
बेहतर काम के लिए जरूरी, है तन-मन को आराम,
सामर्थ्य के अनुसार सदा, करते रहें हम काम।
सक्रिय तन-मन जो रहते हैं, करते रहते बेहतर काम,
अति बुरी हर चीज की होती ,श्रम हो फिर हो आराम।
मनोयोग से करें काम हम तो, होंगे हालात भी अनुकूल,
खुशी सफलता न भले दे सके, खुशी सफलता का है मूल।
हर्ष हमारे मन को मिलेगा जब, सुरुचिपूर्ण हो अपना काम,
सामर्थ्य के अनुसार सदा , करते रहें हम काम।
हर कण-हर क्षण ,गतिशील प्रकृति है,
जगत में सतत् ,होता रहता है बदलाव।
नयापन लाता है ,जग में यह परिवर्तन
जड़ता आ जाएगी,जो हुआ इसमें ठहराव।
सत्पथ पर करते गमन रहें, बढ़ें सदा अविराम,
सामर्थ्य के अनुसार सदा, करते रहें हम काम।