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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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कृष्णा

कृष्णा

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देवकी ने जन्म दिया यशोदा ने है पाला

मथुरा के कारागार में जन्मा है नंदलाला


वासुदेव है जनक पिता नंद है पालनहारा

सृष्टि का उद्धार करने आया है तारणहारा


नंद और यशोदा की आंखों का वो तारा

वृंदावन में पला कान्हा सबका है दुलारा


माथे पर कान्हा के मोर मुकुट है सुहाया

माखन-मिश्री कान्हा को बहुत ही भाया


अद्भुत छवि कान्हा की श्याम वर्ण है काया

मोह ले सबका मन मनमोहन वो कहलाया


मुरली की धुन पे गोपियों को है रिझाया

मोहित हो गई गोपियां मुरलीधर है आया


गोकुल में सखाओं संग गैया है खूब चराया

ग्वालों संग खेले कन्हैया गोविंदा कहलाया


राधा के प्रियतम है कान्हा रास खूब रचाया

तोड़ मटकी गोपियों की उनको बड़ा सताया


श्राप के कारण राधा से विवाह नहीं हो पाया

कृष्णा ने राधा को अनंत प्रेम का पाठ पढ़ाया


अंत करके कंस का मथुरा को मुक्त करवाया

माता-पिता को करा आजाद गले से लगाया


सखा सुदामा के साथ मित्रता खूब निभाया

बनाकर द्वारका नगरी द्वारकाधीश कहलाया


रणभूमि में जरासंध को भ्रमित करवाया

रणछोड़ कर भागा वह रणछोड़ कहलाया


द्वारका नगरी में रुकमणी संग विवाह रचाया

राधा संग अपने अनंत प्रेम को भी है निभाया


सारथी बनकर अर्जुन को है मार्ग दिखाया

गीता के उपदेश से विश्व को ज्ञान सिखाया


जिसने दुनिया को प्रेम का पाठ सिखलाया

वो हम सबका प्यारा लड्डू गोपाल कहलाया


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