STORYMIRROR

Mukesh Kumar Modi

Inspirational

4  

Mukesh Kumar Modi

Inspirational

क्रोध मुक्त बनो

क्रोध मुक्त बनो

1 min
368


क्रोध हमारा पक्का दुश्मन गौर से इसे पहचानो

करता है बहुत नुकसान इसके असर को जानो


अप्राप्तियों का एहसास ही क्रोध को जन्म देता

आत्मिक सुख और शांति को पूरा ही हर लेता


नहीं मिलता चैन जब तक इच्छा पुरी नहीं होती

भौतिक सुख के खातिर आँखें कभी नहीं सोती


कैसे पाएं हम धन दौलत चिन्तन यही तो चलता

लालच के वश होकर मानव अपना रंग बदलता


तृष्णावश होकर ताक पर रखता मान और शान

विनाशी धन के लोभ में छीनता अपनों की जान


मति भ्रष्ट करके वो अपने ही जाल में फंस जाता

विपदा संकट की खाई में खुद ही वो धंस जाता


क्रोधी मानव अपने मन की सुख शांति खो देता

अपनी प्रगति के पथ पर खुद कांटे वह बो देता


जीवन पथ पर जब भी कोई क्रोधवश फिसलता

ऐसा प्राणी जीवन में बड़ी मुश्किल से सम्भलता


ऐसे क्रोध का त्याग करो जो जीवन नर्क बनाता

खुद के संग अपनों को कितनी सजाएं खिलाता


करो त्याग क्रोध का और प्रेम स्वरूप बन जाओ

अपने संग सबका जीवन सुखमय बनाते जाओ!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational