क्रोध मुक्त बनो
क्रोध मुक्त बनो
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क्रोध हमारा पक्का दुश्मन गौर से इसे पहचानो
करता है बहुत नुकसान इसके असर को जानो
अप्राप्तियों का एहसास ही क्रोध को जन्म देता
आत्मिक सुख और शांति को पूरा ही हर लेता
नहीं मिलता चैन जब तक इच्छा पुरी नहीं होती
भौतिक सुख के खातिर आँखें कभी नहीं सोती
कैसे पाएं हम धन दौलत चिन्तन यही तो चलता
लालच के वश होकर मानव अपना रंग बदलता
तृष्णावश होकर ताक पर रखता मान और शान
विनाशी धन के लोभ में छीनता अपनों की जान
मति भ्रष्ट करके वो अपने ही जाल में फंस जाता
विपदा संकट की खाई में खुद ही वो धंस जाता
क्रोधी मानव अपने मन की सुख शांति खो देता
अपनी प्रगति के पथ पर खुद कांटे वह बो देता
जीवन पथ पर जब भी कोई क्रोधवश फिसलता
ऐसा प्राणी जीवन में बड़ी मुश्किल से सम्भलता
ऐसे क्रोध का त्याग करो जो जीवन नर्क बनाता
खुद के संग अपनों को कितनी सजाएं खिलाता
करो त्याग क्रोध का और प्रेम स्वरूप बन जाओ
अपने संग सबका जीवन सुखमय बनाते जाओ!