करो ना आराम
करो ना आराम
वाह! प्रभु
क्या माया तुम्हारी
आज का दिन आलस पर वारी
सारा दिन रहना घर में
जनता कर्फ्यू का ऐलान
हम भी देंगें पूरा साथ
घर में होगा पूरा जहान ।
सब ने कहा
करो आराम
पर पेट का क्या ?
बैठा-बैठा बढ़ाए काम
सब चाहें खाने को बढ़िया
वह भी टी वी के ही साथ
प्लीज माँ बोल लाड़ लड़ाएँ
पर माँ की व्यथा न समझ पाएँ।
बाई जी की भी छुट्टी है
पर बर्तन से कहाँ कट्टी है
भंडारा बढ़ता जाए
करोना जी बहुत सताएँ
आज सोचती हूँ
बढ़िया होता
गर पेट न होता !!!
पर गर न होता पेट
तो शायद ....
कोई काम न होता!
सारे झंझट तो इसी से हैं
कमाना... खाना ...
इनके बीच
बार- बार हाथ धोना ।
करोना सिखाए ' करो ना '
आवाज आई
'मम्मी कुछ दे सकते '
'लाइट भी हो '
'हैवी भी न हो '
सारा दिन बैठना है ..
मन आया कहूँ
बाहर नहीं जाना
घर में करो काम
छोड़ो सब आराम
झाडू कपड़ा लो हाथ
करो डस्ट का काम तमाम।
सबके मोबाइल चालू है
करोना व्याख्यान जारी है
ये वायरस जिंदगी पर भारी है
सबकी पूर्ण जिम्मेदारी है
जनता कर्फ्यू का करो पालन
पाँच बजे फिर बजाओ ताली
वातावरण को गुँजाओ आली ।
विश्वास में ही आस है
चैन को तोड़ना
डर को भगाना
देश को बचाना
बाहर न जाना
घर पर रहना
खाना बनाना
खाना खिलाना
बर्तन माँजना
हाथ धोना
फिर बनाना
फ़िर खाना।
सो आलस महाराज
औरत के जीवन में
नहीं तुम्हारा कोई काम
जिस दिन किचन पर
होगा पुरूष का राज
उस दिन शायद
औरत के भाग्य में
आएगा आराम ।
