कर्म
कर्म


जिंदगी को जीने के अपने-अपने बहाने है
पाता वहीं कोहिनूर संघर्ष करना जाने है
इस बात को सब अच्छी तरह से जाने है
बिना श्रम के न बनते मंज़िल के अफसाने है
नसीब भी उसी का साथ देता है, यहां साखी,
जिसके हृदय बजते है, हर पल कर्म के गाने है
इस जिंदगी को जीने के अपने-अपने बहाने है,
कर्म बिना फल की इच्छा ये मूर्खों के तराने है