STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

करें शुभ कर्म - भरोसा प्रभु पर

करें शुभ कर्म - भरोसा प्रभु पर

1 min
260

करें शुभ कर्म - भरोसा प्रभु पर,

कीजै सदा सबके संग सद्व्यवहार।

वे तो भयमुक्त सदा ही रहते हैं,

प्रभु पर श्रद्धा है जिनकी अपार।

लक्ष्य जो देकर भेजा है प्रभु ने ,

कभी विस्मृत न हो वह विचार।

जिसको जो करना वह वही जाने,

मैं कर पाऊं नि:स्वार्थ सबसे प्यार।


विधि की इस विचित्र सृष्टि में,

हैं विविध भांति के ही लोग।

तेरी कृपा हो मालिक जिस पर,

उसे न व्यापे कभी स्वार्थ का रोग।

सुख-दुख में समभाव रखे वह,

हो भवसागर से सहज ही पार।

जिसको जो करना वह वही जाने,

मैं कर पाऊं नि:स्वार्थ सबसे प्यार।


निकला गरल- पीयूष एक ही सागर से,

जिनका होता एकदम विपरीत प्रभाव।

एक कोख से दुष्ट और सज्जन जन्में,

उनका भी होता अपना-अपना स्वभाव।

सज्जन तो करते हैं प्यार ही सबसे ,

धूर्त -दुष्ट करते हैं सब पर ही अत्याचार।

जिसको जो करना वह वही जाने,

मैं कर पाऊं नि:स्वार्थ सबसे प्यार।


तृष्णाओं में फंसे हुए प्रभु हम सब,

दयानिधि हम पर कृपावृष्टि कर दो।

निज स्वरूप और लक्ष्य पहचानें हम,

हे करुणानिधि ! हमको वह वर दो।

सद्बुद्धि और सद्वृत्ति दे दो प्रभु जी,

तुम हो दयालु हम सबके हो पालनहार।

जिसको जो करना वह वही जाने,

मैं तो करूं नि:स्वार्थ सबसे प्यार।


अपनी करनी का फल मिलता सबको,

प्रभुजी हमें रहे सदा ही यह अहसास।

सन्मार्ग से तो मैं कभी भटक सकूं न,

सेवक पर कृपादृष्टि बनाए रखिए खास।

मोह-माया से मुक्त सदा रह पाऊं मैं ,

चाहे मुझ पर आवें दु:ख अपार।

जिसको जो करना वह वही जाने,

मैं कर पाऊं नि:स्वार्थ सबसे प्यार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract