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Sanjay Aswal

Inspirational

4.3  

Sanjay Aswal

Inspirational

क्रांति की मशाल

क्रांति की मशाल

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आजादी के मतवालेे निकलेे रण में

मां भारती का गीत गुनगुनाते थे,

सर पर बांध कफ़न मौत का 

वो फिरंगियों से लड़ने जाते थे।


ना खुद की चिंता ना फिक्र अपनों की

बस गुलामी से उन्हें नफरत थी

बन क्रांति की मशाल सब छोड़ छाड़ कर

जिंदगी जीने की कहां उनको फुर्सत थी।


आजादी की दिल में ऐसी लगन लगी

क्रांतिकारियों ने सब कुछ त्याग दिया

दे आहुति अपने प्राणों की इस यज्ञ में

मां भारती के चरणों में अर्पित किया।


शत शत नमन शहादत उन वीरों की

धन्य वो भारत भूमि जहां जन्म लिया

देश की आन बान और शान ना मिटने देंगे

मां भारती के सपूतों ने ये प्रण किया।

जय हिन्द, जय भारत



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