क्रांति की मशाल*************
क्रांति की मशाल*************
क्रांति की मशाल हो,
भारती मिशाल हो।
आंखें लाल-लाल हो,
जैसे कोई ज्वाल हो।
क्यों नहीं मलाल हो ?
मिट्टी जो न भाल हो।
मातृ भू विशाल हो,
ऐसी ही मिशाल हो।
काल हो कपाल हो,
पूछते सवाल हो।
पैर में न नाल हो,
धूल भी गुलाल हो।