कोविड में नोंकझोंक
कोविड में नोंकझोंक
कोविड के समय पति पत्नी से –
जानेमन तुम आज कुछ ज्यादा खूब लग रही हो
निगाहें फिसल जाएं, वह संगेमरमर का ताजमहल लग रही हो।
लग रही हो जैसे कश्मीर की कली कोई
बदहवास कर दे जैसे गुलाब का फूल कोई।
पत्नी –
ज़रा उम्र का करो तुम तकाज़ा
यह फूल तो रहेगा हमेशा ताज़ा।
पर तुम ख़्वाब ना सजाओ जैसे बादशाह ए आगरा
रोज़ लिया करो डबल वाएगरा।
और दूर रहो अब अंगूर की बेटी से
नजर आती है उम्र अब तुम्हारी पेटी से।
अब कॉविड का ना चलेगा बहाना
चार किलोमीटर रोज़ चक्कर है लगाना।
पति –
तुम कहो तो चाँद के चक्कर हम लगा लें
साथ में दो चार तारे तोड़ लाए।
तारों से फिर ये मांग सजा दें
कभी कभी के अमिताभ बन जाएं।
पत्नी –
अमिताभ की छोड़ो, अपनी सोचो
शाहरुख से कुछ सीखो और ये ख़्वाब दिखाना बंद करो।
बटुए में रखा क्रेडीट कार्ड निकालो
और बिग बास्केट पर राशन का ऑर्डर करो।