याद है हमें वीरों की कुर्बानी
याद है हमें वीरों की कुर्बानी


आया है आज फिर दिन ये सुहाना
मिलकर आज हमें जश्न है मनाना।
आज़ादी पर आज अपनी गर्व है हमें
तिरंगे के ऊंचे होने पर नाज़ है हमें।
है याद हमें कुर्बानी वीर जवानों की
मतवालों की दिलवालों की देश के उन रखवालों की।
याद है हमें जो वीरों ने ख़ून बहाया है
ये आसमान और सागर तो क्या
हिमालय ने शीश झुकाया है।
कैसे ना बहें आज ये आंसू उन पर
देश के लिए जिन्होंने अपना सर कटाया है।
है याद हमें जब आयी तबाही सागर में
जान की बाज़ी लगा दी देश के वीर नौसैनिकों ने।
दुश्मनों में मच गई थी हलचल
जब उठ खड़े हुए
कपीश, मनोरंजन और फ़िरदौस मुगल।
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आसमां को चीरते वो निडर जवान
भूलाए नहीं भूलते उनके मिशन महान।
स्तब्ध सा ये जहां देखता रह गया
जब देश के जांबाज़ वायुरक्षकों ने दुश्मन के F-१६ को खदेड़ दिया।
फिर आयी वह काली भयावह रात
याद दिला दी जिसने सन् '६२ की वह बात।
इस बार चीनी दुम दबाकर भाग थे
जब शूरवीर कर्नल बाबू और देश के जवान शेरों से गुर्राए थे।
ना भूलेंगे हम देश के उन सपूतों को
माताओं की आंखों के उन तारों को।
नहीं हुए जो विचलित पल भर को भी
दांव पर लगा दी अपनी जीवन ज्योती।
देख जिन्हें सरहद पर दुश्मन थार्राया है
ऐसे वीर जवानों ने हमें आज फिर रुलाया है।