कच्चे धागे का साथ
कच्चे धागे का साथ
भाई अपनी बहन से -
अकेले बैठे कुछ सोच रही हो
ज़िन्दगी कहां ले जा रही है
इस पर गौर कर रही हो।
बीते पलों की यादों में खोई हो
शायद वो दिन फिर आएंगे
इसकी आस लगाए बैठी हो।
भूलाए नहीं भूलते वो साथ बिताए दिन
वो हंसी ठीठोले, वो पलछिन।
ज़िंदगियां बिछड़ गए
रास्ते जुदा हो गए
मंजिलें अलग हो गई।
पर चाहती हो
के अब भी सब वैसा ही हो
वही पल हो और वही दिन।
जबकि सब बदल गया है
फासले बढ़ गए है
उम्मीदें ख़तम हो रही है।
पर आज इस कोहरे से निकल कर देखो
इस धुंध को हटा कर देखो।
जहां अलग हुए, वहीं हूं
जहां रास्ते बदले, वहीं हूं
जहां मंजिलें जुदा हुई, वहीं हूं।
अकेले मत समझो खुदको
अपनी यादों में मत ढूंढो
मैं अब भी तुम्हारे साथ ही हूं।