कोरोना
कोरोना
(एक चुटकुले से मिली प्रेरणा-...काल्पनिक)
कोरोना का नाम
अब तो जुबान पर लाने से मन डरता
ऊपर से ये लोकडाऊन
पति का घर पर रहना
Work at home ..
मेरे लिए तो जी का जंजाल हो गया
चाय के आर्डर तो यूँ आते मानो मैं उनका चपरासी .
नहाने घुसे तो आर्डर
नाश्ता तैयार रखना
एक मीटिंग है 10 बजे।
मैं भोली बेचारी
लगी पराँठा बनाने
तो मूआ फोन बज उठा
मेरे हैलो कहने पर आवाज आई
मैम, साहब की 10 बजे मीटिंग है।
फोन बंद किया तो contacts pr नज़र पड़ी
सोचा आज के समय में कोई
कोरोना नाम कैसे रखता होगा।
औरत हूँ ना दिमाग चकराया
बस एक ही विचार आया
पक्का कुछ लफड़ा है
कहीं नाम बदल कर लिखा हो।
फिर क्या था
फोन घुमा दिया
बैल जा रही थी
पर उठा नहीं रही थी
मैं भी पक्की कहाँ छोड़ने वाली
फिर से लम्बी बैल
लगा आवाज ज्यादा सुनाई दे रही है
किचन में जा जल्दी से फोन उठाया
पति का नम्बर देख दिमाग चक्कराया
सब मसला समझ आया
अब तो पूछना ही पड़ेगा ...
करोना और मैं...
अब माँगना चाय
डार्लिंग बनाम डायन बनाम करोना ...
मर गई यहाँ सेवा करते
और मेवा मिला नाम करोना ........
आटा सने हाथों के साथ बाथरूम के दरवाजे पर
खुलने का इंतज़ार नहीं
जोर से चिल्लायी
ये कोरोना कौन है ?
अंदर से जवाब आया
एक वायरस जिंदगी ले कर ही रहता है
और मैं कौन ?
मेरी जिंदगी ...
जवाब आया ...
ठीक है आज इस जिंदगी से
दो दो हाथ कर लो
करोना क्या है मुझ से समझ लो
आज दो दिन से पतिदेव बाथरूम में हैं और मैं बाहर
मैं कोरंन्टाइन में हूँ
कोरोना जाएगा तभी बाहर आऊँगा ..
कोरोना जाएगा.....
तभी बाहर आऊँ।