कोरोना पर कविता
कोरोना पर कविता
सन 19 की बात है ये ।
एक देश के साथ है ये ।।
एक देश से शुरू हुई थी महामारी ।
और ये बनी लोगो की हत्यारी ।।
खतरा एक देश पर मंडराया था ।
हर देश घबराया था ।।
किसने सोचा ऐसा भी हो जायेगा ।
पक्षियों को कैद करने वाला खुद घर मे कैद हो जाएगा ।।
पैसो के बल पर सारी दुनिया हो गयी अहंकारी ।
किसने सोच आएगी ऐसी भी महामारी ।।
जिसमे फंस जाएगी दुनिया सारी ।
हर किसी को खतरा चाहे नर या नारी ।।
बड़ी बड़ी महाशक्ति भी हारी है।
न जाने कैसी ये महामारी है।।
इसकी कोई न है दवाई।
जब तक दवाई न मिले घरो में रहे बहनो ओर भाई ।।