STORYMIRROR

Geeta Upadhyay

Abstract

3  

Geeta Upadhyay

Abstract

कोरोना बम बन गए

कोरोना बम बन गए

1 min
170

चंद दिनों में यह कैसे हालात बदल गए 

वक्त बदला और जज्बात बदल गए 


डूब जाएंगे यह जानकर भी दरिया में उतर गए

यह कैसी आंधी आई जो दरख़्त जड़ों से ही उखड़ गए 


जिंदगी को महफूज रखने को दूरी बनानी है लाजमी

समझ कर भी क्यों नासमझ बन गए


छूरी लेकर नहीं कोरोना लेकर आए थे साहब

पूरे शहर देश को संक्रमित कर गए 


अणु परमाणु मिसाइलों की जरूरत नहीं

अब तो पूरी दुनिया में इंसां ही कोरोना बम बन गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract