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कॉलेज लाइफ

कॉलेज लाइफ

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अनजाना शहर अनजान नगरी,

भीड़ मे फिर कहीं नज़रें जा ठहरी।


वक्त के मारे हम वहाँ जा रूके,

दोस्ती, प्यार, भविष्य पाने के,


जहाँ थे सराबोर मौके,

दोस्त मिले, मस्तियाँ बढ़ी,


हर अनकिए काम हमने भी किए,

जले, सुधरे , बिगड़े , सहमे,


इस हसीन ख्वाब ही ज़िंदगी,

साफ चेहरों ने धोखे भी दिए।


मगर अब चाह है,

वहीं पलट जाना है,


कॉलेज के उन दिनों को,

फ़िर से हकीकत बनाना है।।


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