STORYMIRROR

फ्रेंड्स

फ्रेंड्स

1 min
2.6K


जब कभी कहीं

मेरी राह थरथराई

हर बार याद उस

दोस्त की आई

आँख मूंदे बस

चल देते थे कहीं भी

उसके संग न

कभी धड़कन घबराई

चलता था जो हर

रास्तें मेरा हाथ थामें,

गम है आज कैसे उसने

अपनी अलग ही राह बनाई

जिसकी गिनती करोड़ों

में भी न हो सकी,

उसने आज अपनी

गिनती तारों में करवाई।


Rate this content
Log in