फ्रेंड्स
फ्रेंड्स
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जब कभी कहीं
मेरी राह थरथराई
हर बार याद उस
दोस्त की आई
आँख मूंदे बस
चल देते थे कहीं भी
उसके संग न
कभी धड़कन घबराई
चलता था जो हर
रास्तें मेरा हाथ थामें,
गम है आज कैसे उसने
अपनी अलग ही राह बनाई
जिसकी गिनती करोड़ों
में भी न हो सकी,
उसने आज अपनी
गिनती तारों में करवाई।
