कोई तो है।
कोई तो है।
जब रोते-रोते भी कभी दिल किसी बात पर
खुश होकर होठों पर हँसी लाता है तो लगता है कि
कोई तो है जो हमारी मुस्कान के सहारे जीता है।
जब कुच खोते-खोते भी सब-कुछ पा लेने का एहसास
होता है, तो लगता है कि कोई तो है
जो हमारी जीत कि हरपल दुआ करता है।
हम जब कुछ बोल नहीं पाते, अपना हाल भी छुपा नहीं
पाते और बढ़ी हुई उलझने अपने आप सुलझती जाती है,
तो लगता है कि कोई तो है जो हमारी परेशानी में परेशान होता है।
बहुत समझाने पर भी जब हम कुझ समझ न पाते,
बात-बात पर घबराते और अचानक ही जैसे
सारी घबराहट उड़न छू हो जाती, तब लगता है कि
कोई तो है जो हमारी हिम्मत बढ़ाने की दुआ करता है।
कभी हम राह भूले, बेबश होकर आश छोड़े,
पर जब संघर्ष का मंगल परिणाम घोषित होता है,
तब लगता है कि कोई तो है जो हमारे लिए हर
कसौटी पर खरा उतरने कि दुवा करता है।
कौन है वो न जानूँ में, बस, उसको ईश्वर की भेंट मानूँ में।
