अनमोल
अनमोल
अनमोल है तू, तेरा मोल क्या लगाऊ ?
तुने जो दे दिया उसका ऋण कैसे चुकाऊं।
हर एक सांस में तुने भर दी एक आंस,
कोई चिंता भी न टीकने दी मेरे पास।
अब क्या मांग लेकर तेरे पास आऊं ?
अनमोल है तु, तेरा मोल क्या लगाऊ ?
मैंने जो कार्य बिगाड़ा, तुमने आकर उसे
फिर सुधारा।
हर वक़्त मेरे पास खड़ा पाया तुजे कृपाला।
तेरे सहारे के बिना में कैसे जीत पाऊं ?
अनमोल है तु तेरा मोल क्या लगाऊ?
हठ कभी-कभी मैंने तो कर ली,
पर तुने कभी न अपनी
दया मुझ पर कम की।
तु खरा सोना में मिट्टी भी न बन पाऊं।
अनमोल है तु तेरा मोल क्या लगाऊँ ?
तेरा नाम लेने से लगता है में हूँ सुरक्षित कवच में,
कोई अस्तित्व नहीं मेरा तेरे बिन सच में।
अनमोल है तू तेरा मोल क्या लगाऊँ।
है प्रभु! तुने नहीं भूलाया
मुझको कभी किसी भी पल में,
कृपा कर दे इतनी कि में भी न भूलूँ
तुझको इस संसार के विकट वन में।
