कन्या भ्रूण हत्या
कन्या भ्रूण हत्या
जुर्म न अपराध जिसका
उसे मौत का उपहार कैसा।
देखा नही जिसने संसार
उसे मारने का कैसा विधान।
वक़्त न प्यार दिये
आने से पहले हि उसे क्यों मार दिया ?
पूर्व मे जो हुई भूल
उसे न अब होने दो।
माँ जानकी सीता को
फिर से धरती पर आने दो।
उसके न आने से
संसार अधूरा है।
उसके न रहने से
भाई का कलाई सूनी है।
क्या क्या न करती वो आने पर
रखती कदम चाँद सितारों पर।
छू कर पर्वत की चोटी
रहती टिकी जमीनों पर।
यदि आए संकट देश को
तो स्वयं को अर्पित कर देती
सूली तलवारो पर।
रोको न उसको आने से
बाधा बनो न उसके जीने मे,
प्यार और पढाई से
रखना न उन्हे वंचित।
करीब ले आएगी चाँद सितारे
बस एक अवसर मिल जाने पर।
