कंभक्त ईश्क
कंभक्त ईश्क
मै कविता लिखता गया दिल से,
तू सूनती गयी सिर्फ कानों से,
काश तुमने भी सुना होता दिल से,
ये दिल कभी हारता नहीं कमबख्त इश्क से।
मै कविता लिखता गया दिल से,
तू सूनती गयी सिर्फ कानों से,
काश तुमने भी सुना होता दिल से,
ये दिल कभी हारता नहीं कमबख्त इश्क से।