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Pooja Agrawal

Inspirational

3  

Pooja Agrawal

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कमरे का बंद झरोखा

कमरे का बंद झरोखा

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कमरे का बंद झरोखा साक्षी है 

कितने असंख्य पलों का

वक्त की डोर से बंधे हुए

भावनाओं के समंदर‌ के

ज्वार भाटे का

एहसासों के सैलाब का

महत्वक्षाओं के मायाजाल का,

रिश्तों की मृगतृष्णा का,


आँखों के किनारों पर थमे हुए

आंसूओं का

खामोशियों में लिपटे हुए

अल्फ़ाजों का,

घुटती हुई सिसकियों का,

मन की अठखेलियों का,

दबी हुई चाहतों का,

मौन, मूक, यह झरोखा,

बधिर नहीं है, दर्शक है, श्रोता है

बरसों से मेरा हमसाया है,


पर आज अंतर्मन दे रहा है हिम्मत मुझे,

खोल दूँ इसे में, व्याप्त अंधकार मिटा दूँ

आशाओं के सूरज की स्वर्णिम किरणों से,

उम्मीदों का इंद्रधनुष से 

अभिषेक करते आसमान में ,

ख़ुशियों की उड़ान भरूं,

क्षितिज के उस पार चलूं



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