कमजोर कहां तू नारी
कमजोर कहां तू नारी
कमजोर कहां तू नारी
तू ही शक्ति अवतारी।
शक्ति बिन शिव भी शव हैं
तू शक्ति अवतारी।
भारत की नारी रतन सुधा
संस्कारों की पतवार है।
अखंडित सिला सम
शिष्ट संस्कारों की खेवनहार है।
कमजोर कहां तू नारी
तू ही शक्ति अवतारी।
जीवन भवसागर है गहरा
तू ही जग खेवनहारी ।
तू ही दुर्गा तू ही काली
तू चामुंडा मां बलशाली।
तू सीता है अनसूया है
तू माता ममता वाली।
तू शबरी है तू मीरा है
तू लक्ष्मी सी रनधीरा है।
तू पावन नारी अहिल्या है
तू सकल भुवन में हीरा है।
मातृत्व की मधुर बेल है
समर्पण की पाठशाला है।
सीताराम राधेश्याम कहे
धरा पर अमृत पूरित तू हाला है।
