कल्पना
कल्पना
सूरज की रौशनी संग प्रकाश का उत्सव
फूलों के खिलने संग खुशबुओं का उत्सव।
पक्षियों की चहक से किलकारी का उत्सव
हर सुबह नयी कल्पना का उत्सव होता है।
नित नये नये विचारों से कई सपने बुनते
कागज़ की धरती पर उन्हें खूब सजाते।
कलम के धनवान होने की कल्पना करते
खूबसूरत अल्फाज़ो के जाल में खो जाते।
मुश्किल डगर पर जब पाँव लड़खड़ाते
जीवन के हर रंग से हम रूबरू हो जाते।
हौसले से हर पड़ाव पर आगे बढ़ते जाते
सफलता की कल्पना से वाकिफ हो जाते।
सुंदर प्रकृति की कल्पना इस मन को भाती
हर एक को वह प्रसन्न प्रफुल्लित कर जाती।
दुनियवी रिश्तो की नज़ाकत सदा लुभाती
यथार्थ की धुरी पर कल्पना ही पहुँचाती।