कलम !
कलम !
हे कलम ! हे कलम ! आज तुझे लिखना है ,
ये दोस्ताना दो मुलको का ।
है दस्तक दे रही मेरी माँ मिलने को मुझसे,
पर देना है जवाब मुझे मेरी भारत माँ को ।
है पोषित हो रही मेरी यादे जब तू प्रकट होती है ।
लिखा था तूने ही विभाजन दो मुल्कों का ,
अब तूही दे सकती है जवाब ये जहां हिंदुस्तान को ।
किया था जिसने अपमान इस तिरंगे का
आज देना है सबक उन सबको तुझे ।
अब तूही बता कैसे सो सकती है वो माँ
जिसका बेटा देश के लिये लड़ रहा हो ।
उसकी आँखें बेटे को देखने के लिये बेकरार है
हो गये जो शहीद देश के नाम पर ।
आँखों में पानी ,दिल में बसा एक नाम
" जय भारत माता की " ।
