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Dr Lalit Upadhyaya

Abstract

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Dr Lalit Upadhyaya

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कलम में तोपों का दम

कलम में तोपों का दम

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कलम की ताकत को पहचान,          

यह है लोकतंत्र की जान।           

चौथे स्तंभ से है हमारी शान,           

यह है देश का अभिमान।।।           

यह लोकशाही की मनमानी को रोके,    

राजनीति की पैंतरेबाजों को टोके।   

घोटालों की नब्ज को टटोले,         

कलम जब खुल कर बोले।।       

पत्रकार समाज को दे रहे आकार,    

समाज के विकारों पर कर रहे प्रहार।   

दबाव का इन पर होता जब वार,      

मुखर हो जाती है कलम बनके तलवार।।

समाज को नई दिशा दे रही कलम,      

धार इसकी नहीं हुई है कम,        

उजाला फैलाती जब होता है तम,     

कलम रखती है तोपों का दम।।


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