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Rubil Gujjar

Inspirational

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Rubil Gujjar

Inspirational

कलम की कहानी

कलम की कहानी

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मेरी कलम आज उदास लगने लगी है

पिता का दर्द लिखते लिखते रोने लगी है

रोने लगी है मां की हर पुरानी बात पर

मां की बिंदी पिता का कुर्ता लिखते लिखते रोने लगी है।


मेरी कलम के अंदर

पिता के कर्ज की सहाई है

कैसे ना लिखूं आज फिर 

मां बापू की याद आई है।


मेरी कलम ने पिछले जन्म 

बड़ा उपकार किया होगा

जिसने शब्दों में पिता को 

उतार दिया होगा।


धन्य है तू ए कलम

दो उंगली में कैद रहकर 

पूरी कहानी लिखती है

कभी जेब में कभी 

डब्बे में छुपती है।


तेरे दर्द को बयां मैं करूंगा

तू मत रो कलम तेरा नाम मैं करूंगा

लिखूंगा तुझ से 

एक नया इतिहास

तुझे ही आजाद मैं करूंगा।



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