कलम और जिंदगी
कलम और जिंदगी
कलम हर रोज चलती है जिंदगी में
हर रोज फजर शाम होती है।।
मजबूर इंसान की पैदाइश से
मरने तक हालात मजबूर बनाने की
कोशिश मगर मजबूरियां मजबूत इंसान जनती है।।
वक्त की अपनी रफ्तार रुकना फितरत नहीं
पानी के बुलबुलोंजैसी बनती बिगड़ती है।।
हाथों की लकीर से किस्मत का नहीं कोई वास्ता
तकदीर तो मुश्किलोसे लड़ते बनती निकलती है।।
वक्त करवट बदलता हस्र हालात बदलते कौल करम
किस्मत इंसानवज्म वजूद से निकलती।