STORYMIRROR

Yog Raj Sharma

Abstract

3  

Yog Raj Sharma

Abstract

कलम ऐ साल

कलम ऐ साल

1 min
373

लाजवाब मिला तोहफा ऐ तोहिं का

हर वार जिगर पर करता गया

सुना है टूटा किसी को न तोड़े

कहे हकीकत मौका दस्तूर न छोड़े।।


सुबह सुबह कलम निकाली

मिल गए जज्बात लिखने को

तारीफ में लिखना चाहा लब्ज अनमोल।

निकाल स्याही खून सी

बात उतारी जमीं की

कुछ खास बक्शा राहगीर ने उस तोहफे को

उल्ट फेर देख राज ऐ लफ़्ज का

रहा न कोई शब्द मोल।।


किया दरकिनार उस दिल के लिखित बोल को...

क्या लिखूं पन्ना बोल रहा

कलम स्याही गया डोल रहा।

जवाब ऐ जज्बात मोल को नहीं लगाया ज़िगर से

लिख दिया इख़्तियार गोल-मोल से।।


लाजवाब मिला तोहफा ऐ तोहिं का

हर वार जिगर पर करता गया।

रोका कलम कमान,

मुबारक नया साल राजयोग करता गया।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract