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Priyank Khare

Abstract

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Priyank Khare

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"किताबों का सफर"

"किताबों का सफर"

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किताबों पर अक्सर वो बातें छिपी होती हैं

पुरानी गज़लों में अक्सर यादें दबी होती हैं


पीले पड़ गए वो किताबी पन्ने भी मुद्दतों से

गुजरे पलो , की वो जिंदगानी लिखी होती है


पढ़ी जाती है हर वो किताब की नज़्में

भाव, विचार , सार्थक तथ्यों से भरी होती हैं


शायराना नज़रों से जब भी पढ़ता हूं इन्हें

हर वो नई किताब भी मुझे पुरानी दिखती है


भाषा-शैली, उत्क्रष्ट शब्दों से लिखी हुई 

सौम्य, सुंदर किताबें पुस्तकालय में रखी होती हैं


लाइब्रेरी में मिलजुल बैठते हैं हम और आप

पुस्तक में लिखे हर संदर्भों में बात होती है।



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