किताबें
किताबें
चाहिए एक कमरा मुझको बंद सा, और शांत सा,
जहा कोई और ना हो,बाहर किसी का शोर न हो ।
न हो बाहर की खिटपिट, न हो कोई भी झीकझीक,
करे हम एक दूजे से बातें, मैं रहूं और मेरी किताबें ।
पढ़ने लगता हूँ जब भी, कई आवाज़ें आती है,
कई सारी आवाज़ें जो, काफ़ी शोर मचाती है ।
हो जाऊ बंद कमरे में, शोर ना कोई सुनाई दे,
किताब के पन्ने दिखे, शब्द उसके सुनाई दे।
कमरा हो एक ऐसा कि, कोई मुझे न बुला सके,
करे हम एक दूजे से बातें, मैं रहूं और मेरी किताबें।