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किताब के कुछ खाली पन्ने

किताब के कुछ खाली पन्ने

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कभी बस अड्डे मिल जाऊ तो घृणा से न दुत्कारना तुम

सिग्नल पे आ जाऊ तो न चिल्लाकर मुझे भागना तुम.

हाँ मैं भी कुछ करना चाहता हूँ

वो कलम उठाना चाहता हूँ...

किताब के हर खाली पन्ने पर नई किस्मत लिखना चाहता हूँ !!


उन किन्नो की मुझे चाह नई, इन् नोटों की कोई आस नई !!

फिर भी घंटो मैं फिरता हूँ, हर शख्स को बाबू कहता हूँ !

आस लिए लिए उस पन्ने की, मैं कलम मांगने जाता हूँ !

नयी सुबह की नींद लिए बिन बिस्तर ही सो जाता हूँ !!

भूख नही है पैसों की, बस भूख मिटाने आता हूँ !

किताब के हर खाली पन्ने पर नई किस्मत लिखना चाहता हूँ !!


प्यार से छोटू सुनना भी, बेटू जैसा ही लगता है,

चल हट, भाग निकल यंहा से भी . बड़े भाई का ताना लगता है !

परिवार पूछते है मुझसे, तब नाम तुम्हारा आता है.

जब पता पूछते हैं मेरा तब बेबस सा हो जाता हूँ,

तब उस बस अड्डे की याद को में, अपनी जगह बताता हूँ.


मिल जाऊं तो एक बार मेरे बालों को सेहला देना,

मेरी किताब के पहले पन्ने पर नया रिश्ता तुम भर देना,

उन् सिक्कों की खनखनाहट में ना तुमसे कुछ कह पाता हूँ,

किताब के हर खाली पन्ने पर नई किस्मत लिखना चाहता हूँ !!


इस किताब के खाली पन्ने पर कुछ नया मैं लिखना चाहता हूँ,

ज़िल्लत के इस जज़ीरे से हर रोज़ निकलना चाहता हूँ !!

ब्रह्मा की वह कलम लिए, अपनी दुनिया रचना चाहता हूँ,

ज़िन्दगी के हर खली पन्ने पर नयी किस्मत लिखना चाहता हूँ !

किताब के हर खाली पन्ने पर कुछ नया मैं लिखना चाहता हूँ !


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