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सुरभि शर्मा

Abstract

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सुरभि शर्मा

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किस्से यादों के

किस्से यादों के

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उसकी गरमाहट में छुपी थी

बच्चों के लिए, नानी - दादी की नर्म कहानियाँ

सब काम समेट लेने के बाद

घर की स्त्रियों के लिए साबूदाने डिजाइन के

ऊन से बने नमूने

कुछ चैन स्टिच और भरवा कढ़ाई के

अदला-बदली होती कशीदाकारी।

कुछ खास टिप्स, नुस्खे खाने में 

स्वाद बढ़ाने के, कुछ सेहत ठीक रखने के 

तो कभी किस्से कुछ रिश्तेदारों को 

कभी खुलते कुछ परत दर परत

खानदानी राज।


कभी बेतहाशा बच्चों की उछल कूद और शरारतें 

तो कभी नवयुगलों की सबसे आँखें बचाते हुए

कुछ चुहलबाजियाँ।


समय के साथ अब तुम भी रिटायर हो चली 

पर देखती हूँ अलगनी पर पड़े हुए 

"तुम्हारा दुख भी वैसा ही है "गर्म रुई वाली सफेद मोटी मलमली रज़ाई" 

जैसे कोई वृद्ध चाहते हुए भी 

अपने बच्चों को गले ना लगा पा रहा हो।" 



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