किससे खेलूं होली?
किससे खेलूं होली?
नहीं कोई है मेरे लायक,
नहीं कोई हमजोली।
किससे खेलू होली यारों,
किससे खेलू होली।।
नेता लोग घोटालों का हैं,
रंग लगाये मुॅह में।
अफसर भ्रष्टाचार रुपी,
गुलाल लगाये रुह में।
आज के दिन भी जनता बोले,
जातिवाद की बोली।।
किससे खेलू............।।
प्रभु रंगे धनी भक्तों के,
बड़े चढ़ावे के रंग में।
कोई नहीं दुःखी गरीब,
बेबस लाचार के संग में।
बड़ी-बड़ी बाते करते सब,
जैसे तोप की गोली।।
किससे खेलू............।।
सबको रंग बदलते देखा,
बिगड़ी है किस्मत की रेखा।
नहीं कोई अपना है यहां पर,
सबको रंग बदलते देखा।
दुखी उदास खड़ा हुं लेकर ,
रंग - गुलाल की झोली।।
किससे खेलू............।।
