किस्मत
किस्मत
क्या किस्मत लेकर गिरा था वो पत्थर मेरे ख्वाबों पे,
शीशा तो टूट गया पर अक्स रह गया इन आँखों में,
नसीब की बातें मेरे चारों ओर चलती हैं आजकल,
कोई ये नहीं बता रहा वो क्यों ना थे मेरे सिरहाने पे,
अदाओं में जो बह के गए तो शराबी कह दिया लोगो ने,
कोई समझा नहीं रहा कि उनके नशे को उतारू कैसे,
ना जाने किस मोड़ पे खड़ी हो तुम इस शहर के,
मैं हर गलियों से हो आया ना पहुँचा बस तेरे ठिकाने पे।