मौत
मौत
मौत, कभी नाम सुना है क्या ?
डरवाना है, या बेगाना है,
खुद को इससे, कोई जोड़ना नहीं चाहता,
शोक होता है, खौफ़ होता है,
दुख होता है, दिखावा होता है,
एक सवाल अचानक उठता है मन में,
क्या मैं भी मरूँगा !
कोई सामना करता है, कोई डर कर जीता है,
फिर एक सच सामने आता है अचानक से,
मौत, सब छूटेगा, ये दुनिया, ये दोस्त, ये रिश्ते, ये शौक,
और हां, यह जिस्म भी,
अकेलापन ही सच्चाई है,
और मौत इसका ज़रिया है,
मगर इस से छुपता है हर कोई,
मगर मौत से भागता है कर कोई,
फिर एक दिन,
वो जिस्म मिट्टी की जागीर हो जाता है,
और मौत का सच ही सबसे बड़ा होता है।