किस्मत का खेल
किस्मत का खेल
स्कूल की लड़कियां समझ नहीं आई,
जो पसंद आई, उसने करी मनाई।
कोई फालतू स्टाइल मारती,
कोई जबरदस्ती अंग्रेज़ी झाड़ती।
उनको पसंद थे अपने जैसे लड़के,
वास्तविकता से दूर, अक्ल के कड़के।
वक्त निकल गया तेजी से,
पर वो ना निकली दिल से।
दो - तीन बार बीच में दीदार हुआ,
मनाई के डर से बात ना करने को तैयार हुआ।
४० साल बाद हुई एक मुलाकात,
जहां निकली बातों में बात ।
फिर बड़ा बातों का सिलसिला,
जब पता चला हर शौक है मिला।
गानों के बोल दिल की बात कहने लगे,
कहीं फूल प्यार के खिलने लगे।
किस्मत के खेल बड़े ही निराले,
कभी दिल तोड़े , कभी दिल मिला ले।