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किसी बहाने से

किसी बहाने से

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यूँ तो मुझे कुछ फर्क नहीं

पड़ता तेरे जाने से

फिर पता नहीं क्यूँ

दिल मिलना चाहता है तुझसे

किसी न किसी बहाने से

 

वैसे ग़म तो हज़ार है इस ज़माने के

फिर पता नहीं क्यूँ

दिल मिलना चाहता है

तुझ से किसी न किसी बहाने से

 

आफतें आजमाईशें ग़ुरबत बेकारी

सब सहने को तैयार है

पता नहीं क्यूँ इस दिल को

बस तुझ से मिलने का इंतज़ार है

 

पहले याद आती थी अब

चली जाती है भुलाने से

फिर पता नहीं क्यूँ

दिल मिलना चाहता है

तुझसे किसी न किसी बहाने से

 

उलझनें भी हैं, है अफ़सोस भी

और शायद उल्फत भी है

तेरे चले जाने का दुःख है

और थोड़ी गफलत भी है

 

आँसू अब निकलते हैं

मुस्कुराने से

फिर पता नहीं क्यूँ

दिल मिलना चाहता है

तुझसे किसी न किसी बहाने से

 

क़ुर्बान मुझे तू कर गयी

शहादत मुझे नसीब न हुई

एक तुझे ही तो चाहा था इस ज़माने में

और किस्मत देख मेरी तू भी मेरी न हुई

 

ज़ख्म नासूर ही बनेंगे तुझे

फिर से पाने से

फिर पता नहीं क्यूँ

दिल मिलना चाहता है

तुझसे किसी न किसी बहाने से

 

हर तरफ चारों ओर

लगे हुस्न के मेले हैं

हम तुझे पाकर भी तन्हा थे

और आज इस भीड़ में भी अकेले हैं

 

तुझे पाकर और बेखबर

रहेंगे इस ज़माने से

फिर पता नहीं क्यूँ

दिल मिलना चाहता है

तुझसे किसी न किसी बहाने से

 

पहले फिक्रमंद होते थे

अब बेपरवाह रहने लगे हैं

पहले आशिक हुआ करते थे तेरे

अब लोग आवारा कहने लगे हैं

 

अब तो बस चाह है यही कि

तू आ जाये मेरे जनाज़े पे

फिर शायद ये आरज़ू न रहे

तुझसे मिलने की

किसी न किसी बहाने से 

 



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