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कुमार संदीप

Tragedy

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कुमार संदीप

Tragedy

किसान

किसान

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किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

रोते हैं

बिलखते हैं

इनके दर्द

फिर भी

न निकलती हैं

इनके मुख से आह !


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता हैं

जब आती हैं आँधी

घर का तिनका-तिनका

बिखर जाता

फिर बुनते हैं झोपड़ी

गुजारने को दिन चार।


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

बिटिया की शादी में

बिक जाती हैं

झोपड़ी भी

दब जाते हैं

कर्ज के बोझ तले।


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

कभी भूखे पेट भी

पूरे दिन है कटते

होती नहीं अन्नदाता को

अन्न का एक दाना ग्रहण।


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

कड़कती धूप हो

या हो कंपकपाती ठंड

नहीं हारते हिम्मत

रहते अटल खेतों में

उम्मीदों के अभिलाषा लिए।


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

नम आँखें

ये चेहरे की झुर्रियाँ

फटे पाँव

फटे कपड़ें

करते हैं बयां इनके दर्द को।


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

अमुआ की डाली पर

यूँ हीं नहीं देते बलिदान

ये बलिदान करता है बयां

इनकी असहनीय पीड़ा को।


किसान का जीवन जीना

नहीं आसान होता है

हे ईश्वर दें आशीष

दूर करें इनकी पीड़ा

न हो इनके जीवन में

दुख की रातें

न हो इनकी नम आँखें।


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