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AVINASH KUMAR

Inspirational Others

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AVINASH KUMAR

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किस लिए रुका यहाँ

किस लिए रुका यहाँ

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किस लिए रुका यहाँ, किस लिए थमा है तू

तू मुसाफिर ही नहीं, एक रास्ता है तू


जो टीस है दबी दबी वो खुद उचट के आएगी

देख लेना एक दिन मंज़िल पलट के आएगी

ये अभी किसको पता क्या साहिलों के पार है

तो सफर के बीच में, तू मानता क्यूँ हार है

परख रही है हर कदम डगर जो हौसला तेरा

डगर को ये पता नहीं कि उसका हौसला है तू


किस लिए रुका यहाँ, किस लिए थमा है तू


यूँ क्रोध अपना सींच ले, कि कांपने लगे धरा

लहू संवर के आएगा, बुला ले आँख में ज़रा

जो डूबना है सूर्य को, तुझ में पिघल के आएगा

तू कभी गगन छुए तो सब बदल के आएगा

है चोट कोशिश का निशाँ, हर बार गिरने पर मिली

हो खौफ़ क्यूँ गिरने का फिर, गिर गिर के जब उठा है तू


किस लिए रुका यहाँ, किस लिए थमा है तू


जो धूप भी मिले अगर, तो मांगना न छाँव तू

जो अगर थके कभी, तो रोकना न पाँव तू

एलान कर उड़ान का, तू ताल अपनी ठोक कर

मजाल है किसी की तो, दिखाए तुझको रोक कर

ये ज़मीं और आसमां कहने को बस बाहर तेरे

तू ही खुद में है ज़मी, खुद में आसमां है तू


किस लिए रुका यहाँ, किस लिए थमा है तू


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