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Aakansha Garg

Romance

3.7  

Aakansha Garg

Romance

ख़्वाहिश का बक्सा

ख़्वाहिश का बक्सा

1 min
235


चल आज तेरी मोहब्बत का हिसाब करती हूं

चल आज तुझे तेरे सवालों का जवाब देती हूं

तूने पूछा था जाते वक्त क्या चाहिए मुझे तुझसे

जवाब मेरा ना था पर ख़्वाहिश से भरा एक बक्सा था


तूने पूछा था क्या मैं बहुत बुरा हूं

गुस्से में होठों पर हां पर दिल में मेरे ना था

तूने हाल मेरा मुझसे पूछा था

फिर खैरियत का लिफाफा सा खुला था


पर तुझ बिन जरा भी ठीक नहीं हूं मैं

यह पन्ना तूने पलटा भी ना था

तूने पूछा था मुझसे मोहब्बत क्यों करती हो

तो सुन मुझे तेरी आंखों में एक आईना सा दिखता था

तुझे आंखों से संवारने का दिल चाहता था

बंदा तो हमें तू भी इश्क में लगता था।



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