ख्वाब
ख्वाब
सोती आंखों से ख्वाब जो देखे,
नींद खुली तो उड़ जाते हैं,
जो ख्वाब खुली आंखों से देखे,
वो जीवन की राह दिखाते हैं।
कुछ रहते ख्वाबों की दुनियॉ में,
कुछ श्रम से करते उनकी ताबीर,
उन रांझों के हाथ खाक हैं,
इन को जग में मिल जाती हीर।
वो ख्वाब ही थे जो हम इंसा,
पाषाण से अंतरिक्ष तलक आये,
बस ख्वाबों की ताबीर ही थी,
धरती से फलक तक अब छाये।
कुछ ख्वाब अकेले ही लड़ने हैं,
कुछ में यारों का साथ मिला,
थी जिन को पाने की शिद्दत पूरी,
हर मुश्किल में एक हाथ मिला।
कुछ श्वेत श्याम कुछ रंगबिरंगे,
ख्वाबों की दुनिया ही निराली है,
ये साल भले ही ना हो मन का,
ख्वाबों में आते साल दीवाली है।।
हर ख्वाब को ना ताबीर है हासिल,
तुम को बस उन को चुनना है,
इस जीवन को जिन से अर्थ मिले,
उन ख्वाबों का चोगा बुनना है।
हौंगे ख्वाबों से ताजमहल भी,
और होंगी ख्वाबों से ही मीनारें,
हार जीत एक परिणाम महज़ है,
हम मन के हाथों बस ना हारें।
तो फिर चल एक नया ख्वाब,
आज तेरी आँखों से में देखूँ,
तू बिछा दे बिसात ख्वाईश की,
अपने फन का पासा जो मैं फेंकूँ,
मिलकर अब ख्वाब एक दूजे के,
हमको इस जीवन में संजोने हैं,
न हो ऊसर जीवन की ये धरती,
निरंतर बीज ख्वाबों के बोने हैं।
निरंतर बीज ख्वाबों के बोने हैं।।
