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S Ram Verma

Romance

5.0  

S Ram Verma

Romance

ख़्वाब अधूरे

ख़्वाब अधूरे

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सुनो आओ

कुछ देर मेरे पास बैठो,

मैं लौटा दूंगी तुम्हें तुम्हारा 

खोया हुआ विश्वास

कुछ देर बैठो

मेरे हाथों को थाम कर

मैं लौटा दूंगी तुम्हें

जीने का एहसास


कुछ देर देखो

तुम मेरी आँखों में

मैं लौटा दूंगी

तुम्हारी आँखों के ख़्वाब

कुछ देर सुन लो

तुम इन धड़कनों की आवाज़

तुम्हें मिल जाएँगे तुम्हारे सारे 

सवालों के जवाब


सुनो यही सब तो कहा था 

तुमने मुझे मेरा हाथ पकड़ने 

के पहले  

पर मैं तो बैठा हूँ

तुम्हारे हाथों को थामे

पिछले कई सालों से

देखते हुए तुम्हारी ही

आँखों में जहां रखे थे

मैंने अपने ख़्वाब जो

अब तक है अधूरे ! 



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